दम लगाके हईशा (2015) – फिल्म समीक्षा

निर्देशक: शरत कटारिया
कलाकार: आयुष्मान खुराना, भूमि पेडनेकर, संजय मिश्रा, सीमा पाहवा
शैली: रोमांटिक ड्रामा, कॉमेडी
अवधि: 1 घंटा 50 मिनट

कहानी और पटकथा






फिल्म की कहानी 90 के दशक की पृष्ठभूमि में हरिद्वार में बसाई गई है। प्रेम (आयुष्मान खुराना) एक साधारण लड़का है, जो अपने पिता की कैसेट की दुकान पर काम करता है। पढ़ाई में कमजोर होने के कारण उसकी जिंदगी में कोई बड़ा लक्ष्य नहीं है। उसके परिवार का दबाव बढ़ता है, और उसकी शादी एक पढ़ी-लिखी, लेकिन मोटी लड़की संध्या (भूमि पेडनेकर) से कर दी जाती है।

प्रेम को यह रिश्ता पसंद नहीं, लेकिन संध्या इसे पूरे दिल से अपनाने की कोशिश करती है। धीरे-धीरे परिस्थितियां ऐसी बनती हैं कि दोनों को एक-दूसरे को समझना और स्वीकार करना पड़ता है। फिल्म का क्लाइमैक्स एक दिलचस्प प्रतियोगिता से जुड़ा हुआ है – "दम लगाके हईशा" रेस, जिसमें प्रेम को संध्या को अपनी पीठ पर उठाकर दौड़ना होता है।

फिल्म की पटकथा सहज और भावनाओं से भरी हुई है। यह एक साधारण लेकिन गहरी प्रेम कहानी है, जो दिल को छूती है।

अभिनय

  • आयुष्मान खुराना प्रेम के रूप में बेहतरीन हैं। उनका किरदार आम मिडिल-क्लास लड़कों की असलियत को दर्शाता है।
  • भूमि पेडनेकर ने अपनी पहली ही फिल्म में संध्या के किरदार को इतनी खूबसूरती से निभाया है कि वह सीधे दिल तक पहुंचती हैं।
  • संजय मिश्रा और सीमा पाहवा ने प्रेम के माता-पिता के रूप में शानदार अभिनय किया है, जो फिल्म में हास्य और वास्तविकता का सही संतुलन बनाते हैं।

संगीत और पृष्ठभूमि संगीत

फिल्म का संगीत अंशुमान तिवारी ने दिया है, और इसके गाने 90 के दशक के संगीत की याद दिलाते हैं। "मोह मोह के धागे" और "टूड़ू टूड़ू" जैसे गाने फिल्म की आत्मा को दर्शाते हैं। गानों का मेलोडीफुल होना फिल्म को और गहराई देता है।

छायांकन और निर्देशन

शरत कटारिया का निर्देशन शानदार है। उन्होंने छोटे शहर की सादगी और असलियत को बहुत अच्छी तरह से पेश किया है। 90 के दशक का माहौल, पुराने गानों के पोस्टर, कैसेट्स और साधारण घरों की झलक फिल्म को और विश्वसनीय बनाती है।

क्या अच्छा है?

✔ साधारण लेकिन प्रभावशाली प्रेम कहानी
✔ आयुष्मान और भूमि की शानदार एक्टिंग
✔ 90 के दशक की खूबसूरत झलक
✔ शानदार डायलॉग्स और दिल छू लेने वाला क्लाइमैक्स

क्या बेहतर हो सकता था?

✖ कहानी थोड़ी और गहरी हो सकती थी
✖ कुछ हिस्से थोड़े धीमे लगते हैं

अंतिम फैसला

"दम लगाके हईशा" एक दिल को छू लेने वाली, सरल लेकिन प्रभावशाली फिल्म है। यह सिर्फ एक प्रेम कहानी नहीं, बल्कि आत्म-स्वीकृति, रिश्तों में परिपक्वता और प्यार के असली मायने समझाने वाली फिल्म है। अगर आप हल्की-फुल्की, लेकिन दिलचस्प कहानी वाली फिल्में पसंद करते हैं, तो यह फिल्म जरूर देखें।

रेटिंग: ⭐⭐⭐⭐☆ (4.5/5)